- डिंगल का हैरॉस : पृथ्वीराज राठौड़
- राजस्थान का कबीर : दादूदयाल
- भारत की मोनालिसा : बनी ठनी
- राजस्थान की जलपरी : रीमा दत्ता
- पत्रकारिता का भीष्म पितामह : पं. झाब्बरमल शर्मा
- राजस्थान की राधा : मीराबाई
- राजपूताने का अबुल फजल : मुहणौत नैणसी
- मरू कोकिला : गवरी देवी
- हल्दीघाटी का शेर : महाराणा प्रताप
- मेवाड़ का उद्धारक : राणा हम्मीर
- आधुनिक राजस्थान का निर्माता : मोहन लाल सुखाड़िया
- वागड़ का गांधी : भोगीलाल पंड्या
- मारवाड़ का प्रताप : राव चंद्रसेन
- मेवाड़ का भीष्म पितामह : राणा चूड़ा
- कलीयुग का कर्ण : राव लूणकरण
- गाँधीजी का पाँचवाँ पुत्र : जमना लाल बजाज
- राजस्थान का लौहपुरुष : दामोदर व्यास
- राजस्थान का आदिवासियों का मसीहा : मोतीलाल तेजावत
- आधुनिक भारत का भागीरथ : महाराजा गंगा सिंह
- गरीब नवाज : ख्वाजा मोइनुद्धीन चिश्ती
- राजस्थान का नृसिंह : संत दुर्लभ जी
- राजस्थान में किसान आंदोलन के जनक : विजय सिंह पथिक
- राजस्थान का लोक नायक : जयनारायण व्यास
- शेर-ए-राजस्थान : जयनारायण व्यास
- दा साहब : हरिभाऊ उपाध्याय
- राजस्थान का गाँधी : गोकुल भाई भट्ट
राजस्थान के प्रमुख व्यक्तियों के उपनाम
राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थल
राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थल निम्नलिखित है:
पर्यटन स्थल – स्थान
- हवामहल – जयपुर
- जंतर मंतर – जयपुर
- गलता जी – जयपुर
- जसवंत थड़ा – जोधपुर
- पटवों की हवेली – जैसलमेर
- सालिम सिंह की हवेली – जैसलमेर
- रामगढ़ की हवेलियां – जैसलमेर
- नथमल की हवेली – जैसलमेर
- चौरासी खंभों की छतरी – बूँदी
- रानी जी की बावड़ी – बूँदी
- क्षार बाग की छतरियाँ – बूँदी
- स्वर्ण या सुनहरी कोठी – टौंक
- विजय स्तम्भ – चित्तौड़
- कीर्ति स्तम्भ – चित्तौड़
- सूर्य मंदिर – झालावाड़
- ढाई दिन का झोंपड़ा – अजमेर
- जल महल – जयपुर, डीग व उदयपुर
- अरथूना के प्राचीन मंदिर – बाँसवाड़ा
- भांडासर जैन मंदिर – बीकानेर
- गैप सागर – डूंगरपुर
- बिड़ला तारामंडल – जयपुर
- कोलवी की गुफाएँ – झालावाड़
- उम्मेद भवन – जोधपुर
- मंडोर – जोधपुर
- भंड देवरा मंदिर – कोटा
- सज्जनगढ़ – उदयपुर
- आहड़ संग्रहालय – उदयपुर
- हर्ष मंदिर – सीकर
- द्वारकाधीश मंदिर – कांकरोली राजसमंद
- आभानेरी मंदिर – दौसा
- सच्चिया माता मंदिर – ओसियां जोधपुर
- रानी पद्मनी महल – चित्तौड़गढ़
- सहेलियों की बाड़ी – उदयपुर
- कुंभलगढ़ – केलवाड़ा राजसमंद
- ब्रह्मा मंदिर – पुष्कर
- देव सोमनाथ मंदिर- डूंगरपुर
- फखरुद्दीन की दरगाह – गलियाकोट, डूंगरपुर
- आमेर किला – आमेर, जयपुर
- रणकपुर जैन मंदिर – सादड़ी, पाली
- सांवलिया जी मंदिर – मंडफिया, चित्तौड़गढ़
- सास-बहू के प्राचीन मंदिर ( प्राचीन नागदा राज्य के मंदिर) – कैलाशपुरी, उदयपुर
- जगत के प्राचीन मंदिर – जगत गाँव उदयपुर
- श्रीनाथजी मंदिर – नाथद्वारा, राजसमंद
- मीरा बाई का मंदिर – मेड़तासिटी, नागौर
- बाबा रामदेव मंदिर – पोकरण के पास रामदेवरा, जैसलमेर
- नाकोड़ा पार्श्वनाथ मंदिर – बालोत्तरा के पास, जिला बाड़मेर
- दिलवाड़ा जैन मंदिर – माउंट आबू
- सालासर बालाजी – सालासर, चुरू
- खाटू श्यामजी – खाटू गाँव सीकर
- सोनीजी की नसियाँ – अजमेर
राजस्थान के प्रमुख खिलाड़ी
वॉलीबॉल
सुमेर सिंह यादव, प्रभाकर राजू, सुरेश मिश्रा, रमा पाण्डेय, श्याम शुन्दर, राव, श्रीमती प्यारी, राधेश्याम शर्मा, अशोक कुमार आसोपा, अशोक जैन , गोपाल राम, हंगामी लाल, गोपाल राम
क्रिकेट
सलीम दुर्रानी, शरद जोशी, प्रवीण आमरे, गगन खोड़ा, राहुल कावंत, विलाश जोशी, अनूप देव, हनुमंत सिंह, विनोद माथुर, श्री लक्ष्मण सिंह, पार्थसारथी शर्मा
निशानेबाजी
ठाकुर कालू सिंह , मेजर आपजी कल्याण सिंह, राज्यवर्धन सिंह राठौर ,राजश्री कुमारी, भुवनेश्वरी कुमारी, महाराव भीमसिंह, देवीसिंह, मानसिंह
हॉकी
गंगोत्री भंडारी, नीलम, सुनीता पुरी, वर्षा सोनी, दलजिंदर सिंह, तेजेंद्रपाल सिंह, गुरदेवेंद्र सिंह
फुटबॉल
प्रहलाद सिंह, मगन सिंह, सुशील कुमार, विजय किशोर सिंह,चैन सिंह, किशोर सिंह,कुमारी सरोज, हरीश चन्द्र, माल चन्द्र
बास्केटबॉल
सुरेन्द्र कटारिया, अजमेर सिंह, हनुमान सिंह, खुशी राम, आनंद सिंह, अशोक गुप्ता, दिनेश चतुर्वेदी, अमर सिंह , जुगल किशोर, जोरावर सिंह, विष्णुकांत शर्मा, पवन चौरड़िया
तीरंदाजी
लिम्बाराम , श्याम लाल
कबड्डी
गोविन्द नारायण , लीलाराम यादव, गिरिराज किशोर शर्मा, अशफाक अहमद, साधना कोटड़ा
तैराकी
रीमादत्ता, अनिल गंजू,महिपाल सिंह, भंवर सिंह, मंजरी भार्गव
घुड़सवारी
प्रहलाद सिंह, रघुवीर सिंह, विशाल सिंह, खान मोहम्मद खान
पोलो
मनुपाल गोदारा, लोकेन्द्र सिंह, भवानी सिंह, प्रेमसिंह, राज हनूत सिंह, किशन सिंह
बॉक्सिंग
सागरमल धायल
कुश्ती
श्री रामफल, मेहरदीन, राजेन्द्र प्रशाद,कमल सिंह
राजस्थान के प्रसिद्द मंदिर | Famous Temples of Rajasthan
Famous Temples of Rajasthan – राजस्थान के प्रसिद्द मंदिर और उनके स्थान निम्नलिखित हैं:
मंदिर का नाम — स्थान
- अम्बिका माता मन्दिर — जगत
- धुनीनाथ मन्दिर — बीकानेर
- आँसिया के मन्दिर — आँसिया (जोधपुर)
- धूलेश्वर मन्दिर — आबू
- अर्बूदा देवी मन्दिर — आबू
- अद्भुतनाथ मन्दिर — चित्तौड़गढ़ का किला
- ब्रह्मा मन्दिर — पुष्कर (अजमेर)
- भन्डसर मन्दिर (जैन मन्दिर) — बीकानेर
- बदोली मन्दिर — मेवाड़
- अचलेश्वर महादेव मन्दिर — अचलगढ़ दिलवाड़ा (आबू)
- चिन्तामणि मन्दिर — बीकानेर
- चामुण्डा देवी मन्दिर — जोधपुर किला (जोधपुर)
- दिगम्बर जैन मन्दिर — अलवर
- घाटेश्वर मन्दिर — बरोली (कोटा)
- द्वारिकानाथ मन्दिर — कंकरोली
- गोविन्ददेव जी का मन्दिर —जयपुर
- दिलवाड़ा जैन मन्दिर —आबू
- गौमुख मन्दिर — आबू
- जगदीश मन्दिर — उदयपुर
- गणेश मन्दिर — जयपुर
- कुम्भा श्याम मन्दिर — चित्तौड़गढ़ का किला (चित्तौड़गढ़)
- हर मन्दिर — बीकानेर (जूनागढ़ किले में )
- हनुमान मन्दिर — गलताजी (जयपुर)
- कर्णीमाता मन्दिर — देशनोक (बीकानेर)
- जैमल मन्दिर — बीकानेर (जूनागढ़ किले में)
- कपार्दा के मन्दिर — रनकपुर (जोधपुर)
- जम्बु मार्गेश्वर मन्दिर — बून्दी
- लक्ष्मीनारायण मन्दिर — बीकानेर
- काली मन्दिर — चित्तौड़गढ़ का किला (चित्तौड़गढ़)
- काली माता मन्दिर — भरतपुर
- मीरा मन्दिर — चित्तौड़गढ़ का किला
- कुंज बिहारी मन्दिर — जोधपुर किला
- नीलकंठ महादेव मन्दिर — चित्तौड़गढ़ का किला
- काली का मन्दिर — आमेर (जयपुर)
- कान्तीनाथ जैन मन्दिर — अचलगढ़ (आबू)
- रनकपुर जैन मन्दिर — रनकपुर
- लक्ष्मीनाथ जी मन्दिर — जैसलमेर
- लोदरवा जैन मन्दिर — लोदरवा (जैसलमेर)
- सोनी मन्दिर (जैन मन्दिर) — अजमेर
- महावीर जी मन्दिर — श्री महावीर जी
- महामंगलेश्वर मन्दिर — बून्दी (बून्दी-चित्तौड़गढ़ मार्ग पर)
- सूर्य मन्दिर — जयपुर
- नीलकंठ महादेव मन्दिर — अलवार
- नीलकंठ महादेव मन्दिर — कोटा
- विमल शाही मन्दिर (जैन मन्दिर) — आबू
- रक्तदन्तिका मन्दिर — सतूर (बूंदी)
- सूर्य मन्दिर — चित्तौड़गढ़ का किला
- समिदेश्वर मन्दिर — चित्तौड़गढ़ का किला
- सन्चौर मन्दिर — जालौर
- सावित्री मन्दिर — पुष्कर (अजमेर)
- सम्भावनाथ मन्दिर (जैन मन्दिर) — जैसलमेर
- श्री रघुनाथ जी मन्दिर — नक्की झील (आबू)
- सास-बहू का मन्दिर — उदयपुर
- श्रीनाथ जी — नाथद्वार
- विष्णु मन्दिर — केशोरायपाटन (बूंदी)
- शिव देवरा मन्दिर —रामगढ़ (कोटा)
- शीतलेश्वर मन्दिर — झालरपाटन (कोटा)
- तेजपाल मन्दिर (जैन मन्दिर) —आबू
- वरूण मन्दिर — बूंदी
- सिंधी जी के जैन मन्दिर — साँगानेर (जयपुर)
राजस्थान के प्रमुख मस्जिद व मखबरे
मस्जिद/मखबरे | स्थान |
---|---|
अढ़ाई दिन का झोपड़ा | अजमेर |
ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती | अजमेर |
अलाउद्दीन का मकबरा | चितौड़गढ़ |
नरहड़ की दरगाह/हजरत शक्कर पीर बाबा की दरगाह | नरहड़ (झुंझुनू) |
शेख हम्मीमुद्दीन चिश्ती की दरगाह | नागौर |
सैय्यद फखरूद्दीन की दरगाह | गलियाकोट |
जामा मस्जिद | भरतपुर |
जामा मस्जिद | शाहबाद |
अब्दुल्ला खां का मकबरा | अजमेर |
मीरान साहब की दरगाह | बूँदी |
मीरान साहब की दरगा | तारागढ़ |
हजरत दीवानशाह की दरगाह | कपासन |
काकाजी की दरगाह | प्रतापगढ़ |
हजरत ख्वाजा सैय्यद फखरूद्दीन चिश्ती की दरगाह | सनवाड़ |
राजस्थान में स्थित प्रमुख महल
महल का नाम – स्थान
- सिसोदिया रानी का बाग महल – जयपुर
- नारायण निवास – जयपुर – नारायणसिंह
- जगमन्दिर महल – उदयपुर
- रामनिवास बाग पैलेस – जयपुर – महाराजा रामसिंह
- मोती डूंगरी महल – जयपुर – मोती सिंह जी
- मुबारक महल – जयपुर – महाराजा जोधसिंह
- हवामहल – जयपुर – महाराजा प्रताप सिंह
- दीवान-ए-आम – जयपुर
- दीवान-ए-खास – जयपुर
- सिटी पैलेस (चन्द्रमहल) – जयपुर – सवाई जयसिंह
- राणा कुम्भा महल – चित्तौड़गढ़
- शीशमहल – आमेर – मानसिंह
- जगनिवास महल – उदयपुर
- खुशमहल – उदयपुर – राणा सज्जनसिंह
- विजय विलास – अलवर
- फूल महल – उदयपुर – राणा अभयसिंह
- जूना महल – डूँगरपुर
- विजय मन्दिर पैलेस – अलवर
- सरिस्का पैलेस – सरिस्का (अलवर)
- सिटी पैलेस – अलवर
- अनूप महल – बीकानेर – महाराजा अनूप सिंह
- जवाहर महल – जैसलमेर
- खेतडी महल – खेतडी
- तुलाती महल – जोधपुर
- बादल महल – जैसलमेर
- लालगढ़ महल – बीकानेर
- उम्मेद भवन पैलेस – जोधपुर शेरशाह सूरी
- छत्रमहल – बूँदी
- गोपाल भवन महल (डींग महल) – डींग (भरतपुर)
- सुजान महल – तारागढ़ अजमेर
- सूरज महल – भरतपुर
- मान महल – पुष्कर अजमेर
- काठकारैन बसेरा महल – झालावाड़
- चैखले महल – जोधपुर
- एक थम्बिया महल – डूँगरपुर
- बीजोलोई महल – कायलाना पहाड़ी जोधपुर
- गुलाब महल – जेलसिंह के काल कोटा दुर्ग में
- सुख महल – बूंदी
- झालीरानी का महल – कटारगढ़ (राजसमन्द)
- पुष्पक महल – रणथम्भौर (सवाई माधोपुर)
- शीलादेवी महल – अलवर
- गोल महल – उदयपुर
- खातर महल – चित्तौड़गढ़
राजस्थान में स्थित प्रमुख अभिलेख
1. बड़ली का शिलालेख
- अजमेर जिले के बड़ली गांव में 443 ईसवी पूर्व का शिलालेख वीर सम्वत 84 और विक्रम सम्वत 368 का है
- यह अशोक से भी पहले ब्राह्मी लिपि का है।
- राजस्थान तथा ब्राह्मी लिपि का सबसे प्राचीन शिलालेख है
- यह अभिलेख गौरीशंकर हीराचंद ओझा को भिलोत माता के मंदिर में मिला था
- यह राजस्थान का सबसे प्राचीन अभिलेख है जो वर्तमान में अजमेर संग्रहालय में सुरक्षित है
2. घोसुंडी शिलालेख (द्वितीय शताब्दी ईसा पूर्व)
- यह लेख कई शिलाखण्डों में टूटा हुआ है। इसके कुछ टुकड़े ही उपलब्ध हो सके हैं।
- इसमें एक बड़ा खण्ड उदयपुर संग्रहालय में सुरक्षित है।
- घोसुंडी का शिलालेख नगरी चित्तौड़ के निकट घोसुण्डी गांव में प्राप्त हुआ था
- इस लेख में प्रयुक्त की गई भाषा संस्कृत और लिपि ब्राह्मी है।
- घोसुंडी का शिलालेख सर्वप्रथम डॉक्टर डी आर भंडारकर द्वारा पढ़ा गया
- यह राजस्थान में वैष्णव या भागवत संप्रदाय से संबंधित सर्वाधिक प्राचीन अभिलेख है
- इस अभिलेख से ज्ञात होता है कि उस समय तक राजस्थान में भागवत धर्म लोकप्रिय हो चुका था इसमें भागवत की पूजा के निमित्त शिला प्राकार बनाए जाने का वर्णन है
- इस लेख में संकर्षण और वासुदेव के पूजागृह के चारों ओर पत्थर की चारदीवारी बनाने और गजवंश के सर्वतात द्वारा अश्वमेघ यज्ञ करने का उल्लेख है।
- इस लेख का महत्त्व द्वितीय शताब्दी ईसा पूर्व में भागवत धर्म का प्रचार, संकर्शण तथा वासुदेव की मान्यता और अश्वमेघ यज्ञ के प्रचलन आदि में है।
3. बिजोलिया शिलालेख
- बिजोलिया के पाश्वर्नाथ जैन मंदिर के पास एक चट्टान पर उत्कीर्ण 1170 ई. के इस शिलालेख को जैन श्रावक लोलाक द्वारा मंदिर के निर्माण की स्मृति में बनवाया गया था
- इसका प्रशस्ति कार गुण भद्र था
- इस अभिलेख में सांभर एवं अजमेर के चौहानों का वर्णन है
- इस लेख में उस समय के क्षेत्रों के प्राचीन नाम भी मिलते हैं- जैसे एक जबालीपुर(जालौर), नड्डूल (नाडोल), शाकंभरी(सांभर), दिल्लिका (दिल्ली), श्रीमाल(भीनमाल), मंडलकर (मांडलगढ़), विंध्यवल्ली(बिजोलिया), नागहृद(नागदा) आदि।
- इस लेख में उस समय दिए गए भूमि अनुदान का वर्णन डोहली नाम से किया गया है ।
- बिजोलिया के आसपास के पठारी भाग को उत्तमाद्री के नाम से संबोधित किया गया जिसे वर्तमान में उपरमाल के नाम से जाना जाता है ।
- यह अभिलेख संस्कृत भाषा में है और इसमें 13 पद्य है यह लेख दिगंबर लेख है।
- गोपीनाथ शर्मा के अनुसार 12 वीं सदी के जनजीवन ,धार्मिक अवस्था और भोगोलिक और राजनीति अवस्था जानने हेतु यह लेख बड़े महत्व का है।
- इस शिलालेख से कुटीला नदी के पास अनेक शैव व जैन तीर्थ स्थलों का पता चलता है ।
4. रणकपुर प्रशस्ति ( 1439 ई. )
- इसका प्रशस्तिकार देपाक था
- इसमें मेवाड़ के राजवंश एवं धरणक सेठ के वंश का वर्णन मिलता है
- इसमें बप्पा एवं कालभोज को अलग-अलग व्यक्ति बताया है
- इसमें महाराणा कुंभा की वीजीयो एवं उपाधियों का वर्णन है
- इसमें गुहीलो को बप्पा रावल का पुत्र बताया है
- इस लेख में बप्पा से कुंभा तक की वंशावली दी है। जिसमें बप्पा को गुहिल का पिता माना गया है।
5. कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति ( 1460 में )
- इसका प्रशस्ति कार महेश भट्ट था
- यह राणा कुंभा की प्रशस्ति है
- इसमें बप्पा से लेकर राणा कुंभा तक की वंशावली का वर्णन है
- इसमें कुंभा की उपलब्धियों एवं उसके द्वारा रचित ग्रंथों का वर्णन मिलता है
- प्रशस्ति में चंडी शतक, गीत गोविंद की टीका संगीत राज आदि ग्रंथों का उल्लेख हुआ है
6. मानमोरी अभिलेख (713 ई.)
- यह लेख चित्तौड़ के पास मानसरोवर झील के तट से कर्नल टॉड को मिला था।
- चित्तौड़ की प्राचीन स्थिति एवं मोरी वंश के इतिहास के लिए यह अभिलेख उपयोगी है।
- इस लेख से यह भी ज्ञात होता है कि धार्मिक भावना से अनुप्राणित होकर मानसरोवर झील का निर्माण करवाया गया था।
- इसमे अम्रत मथन का उल्लेख मिलता हैं
- इस शिलालेख के अत्यधिक भारी होने के कारण कर्नल जेम्स टॉड ने इसे इग्लैंड ले जाने की अपेक्षा समुन्द्र में फेकना उचित समझा !
7. सारणेश्वर प्रशस्ति (953 ई.)
- उदयपुर के श्मशान के सारणेश्वर नामक शिवालय पर स्थित है
- इस प्रशस्ति से वराह मंदिर की व्यवस्था, स्थानीय व्यापार, कर, शासकीय पदाधिकारियों आदि के विषय में पता चलता है।
- गोपीनाथ शर्मा की मान्यता है कि मूलतः यह प्रशस्ति उदयपुर के आहड़ गाँव के किसी वराह मंदिर में लगी होगी।
- बाद में इसे वहाँ से हटाकर वर्तमान सारणेश्वर मंदिर के निर्माण के समय में सभा मंडप के छबने के काम में ले ली हो।
8. कुंभलगढ़ शिलालेख-1460 ( राजसमंद )
- यह शिलालेख कुम्भलगढ़ दुर्ग में सिथत कुंभश्याम के मंदिर ( इसे वर्तमान में मामदेव का मन्दिर कहते हैं) में मिला है,
- इसकी निम्न विशेषतायें हैं-
- इसमे गुहिल वंश का वर्णन हैं!
- यह मेवाड़ के महाराणाओं की वंशावली रूप से जानने का महत्वपूर्ण साधन हैं!
- यह राजस्थान का एकमात्र अभिलेख हैं जो महाराणा कुंभा के लेखन पर प्रकाश डालता हैं!
- इस लेख में हम्मीर को विषम घाटी पंचानन कहा गया हैं!
- यह मेवाड़ के महाराणाओं की वंशावली को विशुद्ध रूप से जानने के लिए बड़ा महत्वपूर्ण है।
- इसमें कुल 5 शिलालेखों का वर्णन मिलता है
- इस शिलालेख में 2709 श्लोक हैं।
- दासता, आश्रम व्यवस्था, यज्ञ, तपस्या, शिक्षा आदि अनेक विषयों का उल्लेख इस शिलालेख में मिलता है।
- इस लेख का रचयिता डॉक्टर ओझा के अनुसार महेश होना चाहिए। क्योंकि इस लेख के कई साक्ष्य चित्तौड़ की प्रशस्ति से मिलते हैं।
9. प्रतापगढ़ अभिलेख (946 ई.)
- इस अभिलेख मे गुर्जर -प्रतिहार नरेश महेन्द्रपाल की उपलब्धियों का वर्णन किया गया है।
- तत्कालीन समाज कृषि, समाज एवं धर्म की जानकारी मिलती है।
10. विराट नगर अभिलेख (जयपुर)
- अशोक के अभिलेख मौर्य सम्राट अशोक के 2 अभिलेख विराट की पहाड़ी पर मिले थे
- भाब्रू अभिलेख
- बैराठ शिलालेख
- जयपुर में सिथत विराट नगर की बीजक पहाड़ी पर यह शिलालेख उत्कीर्ण हैं
- यह शिलालेख पाली व बाह्मी लिपि में लिखा हुआ था
- इस शिलालेख को कालांतर में 1840 ई. में बिर्टिश सेनादिकारी कैप्टन बर्ट दारा कटवा कर कलकत्ता के सग्रहालय में रखवा दिया गया
- इस अभिलेख में सम्राट अशोक द्वारा बौद्ध धर्म एवं संघ में आस्था प्रकट की गई है
- इस अभिलेख से अशोक के बुद्ध धर्म का अनुयायी होना सिद्ध होता है
- इसे मौर्य सम्राट अशोक ने स्वयं उत्कीर्ण करवाया था
- चीनी यात्री हेनसांग ने भी इस स्थाल का वर्णन किया है!
11. फारसी शिलालेख
- भारत में मुस्लिम राज्य की स्थापना के पश्चात् फारसी भाषा के लेख भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं।
- ये लेख मस्जिदों, दरगाहों, कब्रों, सरायों, तालाबों के घाटों, पत्थर आदि पर उत्कीर्ण करके लगाए गए थे।
- राजस्थान के मध्यकालीन इतिहास के निर्माण में इन लेखों से महत्त्वपूर्ण सहायता मिलती है।
- इनके माध्यम से हम राजपूत शासकों और दिल्ली के सुलतान तथा मुगल शासकों के मध्य लड़े गए युद्धों, राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों पर समय-समय पर होने वाले मुस्लिम आक्रमण, राजनीतिक संबंधों आदि का मूल्यांकन कर सकते हैं।
- इस प्रकार के लेख सांभर, नागौर, मेड़ता, जालौर, सांचोर, जयपुर, अलवर, टोंक, कोटा आदि क्षेत्रों में अधिक पाए गए हैं।
- फारसी भाषा में लिखा सबसे पुराना लेख अजमेर के ढ़ाई दिन के झोंपड़े के गुम्बज की दीवार के पीछे लगा हुआ मिला है।
- यह लेख 1200 ई. का है और इसमें उन व्यक्तियों के नामों का उल्लेख है जिनके निर्देशन में संस्कृत पाठशाला तोड़कर मस्जिद का निर्माण करवाया गया।
- चित्तौड़ की गैबी पीर की दरगाह से 1325 ई. का फारसी लेख मिला है जिससे ज्ञात होता है कि अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ का नाम खिज्राबाद कर दिया था।
- जालौर और नागौर से जो फारसी लेख में मिले हैं, उनसे इस क्षेत्र पर लम्बे समय तक मुस्लिम प्रभुत्व की जानकारी मिलती है।
- पुष्कर के जहाँगीर महल के लेख (1615 ई.) से राणा अमरसिंह पर जहाँगीर की विजय की जानकारी मिलती है। इस घटना की पुष्टि 1637 ई. के शाहजहानी मस्जिद, अजमेर के लेख से भी होती है।
नोट-अजमेर शिलालेख राजस्थान में फ़ारसी भाषा का सबसे प्राचीन अभिलेख हैं!
राजस्थान के प्रमुख दुर्ग/किले – Major Forts of Rajasthan
12. साडेश्वर अभिलेख
- इस अभिलेख से वराह मंदिर की व्यवस्था स्थानीय व्यापार कर शासकीय पदाधिकारियों आदि के विषय में पता चलता है
13. कुमारपाल अभिलेख 1161ई.(1218 वि.स.)
- इस अभिलेख से आबू के परमारों की वंशावली प्रस्तुत की गई है
14. चीरवे का शिलालेख ( 1273 ई. )
रचयिता- रत्नप्रभुसूरी + पार्श्वचन्द्र, उत्कीर्णकर्त्ता– देल्हण
- चीरवे शिलालेख के समय मेवाड़ का शासक समर सिंह था।
- चीरवा गांव उदयपुर से 8 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
- एक मंदिर की बाहरी दीवार पर यह लेख लगा हुआ।
- चीरवे शिलालेख में संस्कृत में 51 श्लोकों का वर्णन मिलता है।
- चीरवे शिलालेख में गुहिल वंशीय, बप्पा, पद्मसिंह, जैत्रसिंह, तेजसिहं और समर सिंह का वर्णन मिलता है।
- चीरवे शिलालेख में चीरवा गांव की स्थिति, विष्णु मंदिर की स्थापना, शिव मंदिर के लिए खेतों का अनुदान आदि विषयों का समावेश है।
- इस लेख में मेवाड़ी गोचर भूमि, सती प्रथा, शैव धर्म आदि पर प्रकाश पड़ता है।
15. रसिया की छत्री का शिलालेख ( 1274 ई. )
- इस शिलालेख की एक शिला बची है। जो चित्तौड़ के पीछे के द्वार पर लगी हुई है।
- इसमें बप्पा से नरवर्मा तक। गुहिल वंशीय मेवाड़ शासकों की उपलब्धियों का वर्णन मिलता है।
- इस शिलालेख के कुछ अंश 13 सदी के जन जीवन पर प्रकाश डालते है।
- नागदा और देलवाड़ा के गांवों का वर्णन मिलता है।
- दक्षिणी पश्चिमी राजस्थान के पहाड़ी भाग की वनस्पति का चित्रण
- इस शिलालेख से आदिवासियों के आभूषण वैदिक यज्ञ परंपरा और शिक्षा के स्तर की समुचित जानकारी का वर्णन मिलता है।
16. चित्तौड़ के पार्श्वनाथ के मंदिर का लेख (1278 ई. )
- तेज सिंह की रानी जयतल्ल देवी के द्वारा एक पार्श्वनाथ के मंदिर बनाने का उल्लेख मिलता है।
- जिसे भर्तृपुरीय आचार्य के उपदेश से बनवाया।
- इस लेख से शासन व्यवस्था,धर्म व्यवस्था तथा धार्मिक सहिष्णुता के बारें में जानकारी मिलती हैं।
17. आबू का लेख ( 1342 ई. )
लेख श्लोक- 62, रचना- वेद शर्मा
- बप्पा से लेकर समर सिंह तक के मेवाड़ शासकों का वर्णन,
- इस लेख में आबू की वनस्पति तथा ध्यान,ज्ञान, यज्ञ आदि से संबंधित प्रचलित मान्यताओं का वर्णन मिलता है।
- इस शिलालेख से लेखक का नाम शुभ चंद्र है।
- शिल्पी सूत्रधार का नाम कर्मसिंह मिलता है
18. गंभीरी नदी के पुल का लेख
- यह लेख किसी स्थान से लाकर अलाउद्दीन खिलजी के समय गंभीरी नदी के पुल के 10 वी सीढ़ियों पर लगा दिया गया।
- इसमें समर सिंह तथा उनकी माता जयतल्ल देवी का वर्णन मिलता है।
- यह लेख महाराणाओं की धर्म सहिष्णुता नीति तथा मेवाड़ के आर्थिक स्थिति पर अच्छा प्रकाश डालता है।
19. श्रृंगी ऋषि का शिलालेख ( 1428 ई. )
सूत्रधार– पन्ना
- यह लेख खण्डित दशा में है। जिसका बड़ा टुकड़ा खो गया।
- इस लेख की रचना कविराज वाणी विलास योगेश्वर ने की।
- हमीर के संबंध में इसमें लिखा है कि उसने जिलवड़े को छीना और पालनपुर को जलाया।
- हम्मीर का भीलों के साथ भी सफल युद्ध होने का उल्लेख मिलता।
- इस लेख में लक्ष्मण सिंह और क्षेत्र सिंह की त्रिस्तरीय यात्रा का वर्णन मिलता है। जहां उन्होंने दान में विपुल धनराशि दी और गया में मंदिरों का निर्माण करवाया।
20. समिधेश्वर मंदिर का शिलालेख ( 1485 ई. )
- रचना- एकनाथ ने
- उस समय में शिल्पियों के परिवारों का बोध।
- इसमें लेख को शिल्पकार वीसल ने लिखा।
- सूत्रधार-वसा
- इसमें मोकल द्वारा निर्मित विष्णु मंदिर निर्माण का उल्लेख मिलता है।
- इस लेख में यह भी लिखा मिलता है कि महाराजा लक्ष्मण सिंह ने झोटिंग भट्ट जैसे विद्वानों को आश्रय दिया था।
- सिसोदिया एवं परमार वंश की जानकारी का साक्ष्य। चित्तौड़ दुर्ग में।
21. देलवाड़ा का शिलालेख ( 1334ई. सिरोही )
- इस शिलालेख में कुल 18 पंक्तियां हैं।
- जिसमें आरंभ की 8 पंक्तियां संस्कृत में और शेष 10 पंक्तियां मेवाड़ी भाषा में।
- इस लेख में धार्मिक आर्थिक और राजनीतिक स्थिति पर प्रकाश पड़ता है।
- टंक नाम की मुद्रा के प्रचलन का उल्लेख मिलता है।
- मेवाड़ी भाषा का प्रयोग किया गया है जो उसमें की बोलचाल भाषा थी।
22. रायसिंह की प्रशस्ति ( 1593 में )
- जूनागढ़ के दुर्ग के दरवाजे पर
- रचयिता- जैन मुनि जइता/जैता(क्षेमरत्न कि शिष्य)
- इस लेख में बीका से रायसिंह तक के बीकानेर के शासकों की उपलब्धियों का वर्णन मिलता है।
- 60 वीं पंक्ति में रायसिंह के कार्यों का उल्लेख आरंभ होता है। जिनमें का काबुलियों, सिंधियों और कच्छियों पर विजय मुख्य हैं।
राजस्थान के प्रमुख दुर्ग/किले | Major Forts of Rajasthan
Major Forts of Rajasthan – राजस्थान के प्रमुख दुर्ग/किले निम्नलिखित हैं:
(1) चितौड दुर्ग (राजस्थान का गौरव) :-
- निर्माता – चित्रांग मौर्य
- इसे राजस्थान का गौरव, चित्रकूट दुर्ग और प्राचीन किलो का सिरमोर भी कहते है।
- इस किले पर तीन साके हुए है
- 1303 ई – अलाउद्दीन खिलजी और रतन सिंह के मध्य युद्ध के समय
- 1534 ई- बहादुर शाह एवं विक्रमादित्य के मध्य युद्ध के समय
- 1567 ई – अकबर और उदय सिंह के मध्य युद्ध के समय
- दुर्ग में दर्शनीय स्थल – कुम्भा महल, पद्मिनी महल, फतह प्रकाश महल, विजय स्तम्भ, कीर्ति स्तम्भ(आदिनाथ तीर्थ), कुम्भ स्वामी मंदिर, मीरा मंदिर, तुलजा भवानी मंदिर और जयमल-पत्ता की छतरी।
(2) कुम्भलगढ़ दुर्ग (राजसमन्द) :-
- निर्माण – महाराणा कुम्भा
- दुर्ग शिल्पी – मंडन
- 36 किमी लम्बी बाउंड्री दिवार दुर्ग के चारो और
- इस दुर्ग के अन्दर ”कटारगढ़ दुर्ग” बना है जिसे मेवाड़ की आँख कहते है इसी दुर्ग में महाराणा प्रताप का जन्म हुआ है।
- अबुल फज़ल ने लिखा है कि “यह इतनी बुलंदी पर बना है कि नीचे से ऊपर देखने पर सिर से पगड़ी गिर जाती है।”
- इस दुर्ग में उदयसिंह का पालन -पोषण और राज्याभिषेक हुआ। कर्नल टॉड ने इस दुर्ग को “एटरुक्सन” कहा है।
(3) जूनागढ़ दुर्ग(बीकानेर) :-
- निर्माता :- राय सिंह
- हिन्दू मुस्लिम स्थापत्य कला शैली का सुन्दर समन्वय।
- जयमल- पत्ता की गजारुढ़ मूर्तिया इस किले के दरवाज़े पर स्थित है।
(4) रणथम्भोर दुर्ग:-
- निर्माता – रणथम्मण देव
- अबुल फज़ल – “अन्य सब दुर्ग नंगे है जबकि यह दुर्ग बख्तरबंद है।”
- यह दुर्ग सात पर्वत श्रृंखलाओ से गिरा है इसलिए दूर से नही दिखता।
- इस दुर्ग में त्रिनेत्र गणेश जी का प्रसिद्द मेला भरता है।
(5) लोहागढ़ दुर्ग (भरतपुर):-
- निर्माता – महाराजा सूरजमल (1733 ई)
- अंग्रेजो ने लोहागढ़ पर 5 बार आक्रमण किया, लेकिन इसे कोई नही जीत पाया इसलिए इसे “अजेय” दुर्ग कहते है। यह मिट्टी का किला है।
- इस किले में अष्टधातु का दरवाज़ा, जवाहर बुर्ज़, फ़तेह बुर्ज़ आदि।
- जवाहर बुर्ज़ में यहाँ के राजाओ का राजतिलक किया जाता है
(6) नाहरगढ़ दुर्ग (जयपुर) :-
- निर्माता – सवाई जयसिंह 1734 ई.
- सुदार्शनगढ़ नाम से प्रसिद्द इस दुर्ग का निर्माण मराठों से सुरक्षा के लिए किया गया।
- सवाई माधोसिंह द्वितीय ने इस दुर्ग में अपनी 9 पासवानो के लिए एक जैसे 9 महल बनवाए थे।
(7) भटनेर दुर्ग (हनुमानगढ़):- भूपत भाटी
- तैमूर ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि – “मैंने इतना मजबूत व सुरक्षित किला पुरे हिन्दुस्तान में नही देखा।”
- बीकानेर नरेश सूरतसिंह ने 1805 ई. में मंगलवार के इसको जीतकर इसका नाम “हनुमानगढ़” रखा।
- इस किले को उत्तरी सीमा का प्रहरी भी कहते है।
(8) गागरोण दुर्ग (जलदुर्ग) (झालावाड):-
- निर्माण – डोडिया परमारो द्वारा
- आहु एवं कालीसिंध नदी के संगम पर स्थित।
- इस दुर्ग में मीठेशाह की दरगाह(हमीदुद्दीन चिश्ती) स्थित है।
- यह दुर्ग डोडगढ़ एवं धूलरगढ़ नाम से विख्यात है।
(9) तारागढ़ दुर्ग (बिठली पहाड़ी):-
- निर्माता – अजयपाल चौहान
- इसे गढ़ बिठली और राजस्थान का जिब्राल्टर भी कहते है।
- यहाँ मीरां साहब की दरगाह है
- दारा शिकोह ने यहाँ आश्रय लिया था
- तारागढ़ नाम पृथ्वीराज सिसोदिया ने अपनी पत्नी ताराबाई के नाम पर रखा।
(10) मेहरानगढ़ दुर्ग (चिड़ियाटुंक पहाड़ी):-
- निर्माण – राव जोधा (1459 ई)
- इसे मयूरध्वज या गढ़ चिन्तामणि भी कहते है
- लार्ड किपलिंग-देवताओ और परियो द्वारा निर्मित दुर्ग
- इस दुर्ग में चामुंडा माता का प्रसिद्द मंदिर है
- जयपोल लोहापोल फतेहपोल प्रवेश द्वार
(11) अचलगढ़ दुर्ग(माउंट आबू) :-
- निर्माता – परमार वंश, पुन: निर्माण- कुम्भा
- इस दुर्ग में गौमुख मंदिर, औखा रानी का महल, सावन भादों झील आदि स्थित है।
- भंवाराथल – महमूद बेगडा द्वारा मुर्तिया नष्ट करने पर मधु मक्खियो द्वारा आक्रमण किया गया था।
(12) सोनारगढ़ दुर्ग (त्रिकुट पहाड़ी, जैसलमेर):-
- निर्माता – राव जैसल (1155)
- इस किले में ढाई साके प्रसिद्द है
- 1292 ई – अलाउदीन खिलजी व मूलराज के मध्य युद्ध के समय
- 1370-71 ई- फ़िरोज़ तुगलक व रावल दुदा के मध्य युद्ध के समय
- 1550 ई- आमिर अली व राव लूणकरण के मध्य युद्ध के समय अर्द्ध साका क्योंकि केसरिया हुआ लेकिन महिलाओं ने जौहर नही किया।
- यह धान्वन दुर्ग है।
- काली माता मंदिर, सतियो के पगलिये, जिनभद्र सूरी ग्रन्थ भण्डार
- परकोटा – कमरकोट
(13) मैगज़ीन दुर्ग (अजमेर):-
- निर्माता – सम्राट अकबर(1570-72)
- राजस्थान में पूर्णत: मुग़ल स्थापत्य कला से निर्मित एकमात्र दुर्ग है।
- इसी दुर्ग में सर टॉमस रो ने जाहांगीर से इसी दुर्ग में मुलाक़ात की थी।
- अकबर ने इस किले का निर्माण ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के सम्मान में करवाया।
(14) सुवर्ण गिरी दुर्ग (जालौर):-
- निर्माता – प्रतिहार शासक नागभट्ट प्रथम, पुन: निर्माण परमार शासक।
- सोनगढ़ नाम से प्रसिद्ध
- मालिक शाह पीर की दरगाह, वीरम चौकी, शिव मंदिर, मानसिंह के महल
- कान्हड़ देव सोनगरा के शासनकाल में 1311 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने इस दुर्ग पर आक्रमण किया था।
(15) भेंसरोडगढ़ (चितौडगढ़) :-
- निर्माता – भेंसाशाह व रोड़ा चारण
- राजस्थान का वेल्लोर
- चम्बल व बामनी नदी के संगम पर
- डोड परमारो द्वारा जीर्णोद्वार
(16) जयगढ़ दुर्ग (चिल्ह का टीला,जयपुर):-
- निर्माता – मिर्ज़ा राजा जयसिंह
- तोप ढालने का कारखाना, सात मंजिला स्तम्भ व दीया बुर्ज़ दर्शनीय।
- एशिया की सबसे बड़ी तोप जयबाण तोप।
- इंदिरा गांधी ने खज़ाना ढूंढने के लिए इस दुर्ग में उत्खनन करवाया था।
(17) आमेर दुर्ग(जयपुर):-
- निर्माता – दुल्हराय कच्छवाहा(1150 ई)
- शीश महल जगत शिरोमणि मंदिर और शीलादेवी मंदिर दर्शनीय
राजस्थान के प्रमुख मेले – Major Fairs of Rajasthan
Forts of Rajasthan – राजस्थान के प्रमुख दुर्ग/किले से सम्बंधित मत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर सहित:
1. किस किले को भेदने असक्षम होकर अपनी खीझ मिटाने के लिए जलालुद्दीन खिलजी ने कहा की इस किले को मैं मुसलमान की एक दाढ़ी के बाल जितना भी महत्त्व नही देता?
रणथंभौर का किला☑
जैसलमेर का किला
भटनेर का किला
नागौर का किला
2. शीशमहल, शिलामाता का मंदिर, जगत शिरोमणि मंदिर आदि प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल किस दुर्ग में हैं ?
(1) जयगढ़ दुर्ग
(2) आमेर दुर्ग ☑
(3) नाहरगढ़ दुर्ग
(4) अलवर दुर्ग
3. चौहमुँहागढ़ स्थित है –
(1) बयाना में
(2) चौमूं में ☑
(3) भरतपुर में
(4) कुचामन में
4. शेरगढ़ दुर्ग किस जिले में स्थित है ?
(1) बारां में ☑
(2) बूँदी में
(3) कोटा में
(4) चित्तौड़गढ़ में
5. मारवाड़ में सूकड़ी नदी के किनारे स्वर्णगिरि पहाड़ी पर स्थित दुर्ग है –
(1) जालौर दुर्ग ☑
(2) माडलगढ़ दुर्ग
(3) बयाना दुर्ग
(4) मेहरानगढ़ दुर्ग
6. कर्नल टॉड द्वारा निर्मित दुर्ग है –
(1) आमेर दुर्ग
(2) टॉडगढ़ ☑
(3) जयगढ़ दुर्ग
(4) मांडलगढ़ दुर्ग
7. निम्न में से धान्वन दुर्ग है –
(1) जैसलमेर का किला
(2) भटनेर का किला
(3) नागौर का किला
(4) उपर्युक्त सभी ☑
8. राजस्थान के किस दुर्ग का नाम चिल्ह का टोला भी है?
1. तारागढ़
2. जयगढ़☑
3. कुंभलगढ़
4. चित्तौड़गढ़
9. हिमगिरी चट्टान’ नाम से विख्यात दुर्ग कौनसा है ?
A भटनेर दुर्ग ।
B भरतपुर दुर्ग ।☑
C बूंदी का किला ।
D रणथम्भौर दुर्ग ।
10. निम्नलिखित में से उत्तरी सीमा का प्रहरी किला कहलाता है ?
A जैसलमेर का किला ।
B भटनेर दुर्ग ☑
C लोहागढ़ किला ।
D इनमे से कोई नही
11. चितौड़गढ़ किले के मुख्य प्रवेश द्वार का क्या नाम है ?
A बड़ी पोल ।☑
B भैरव पोल ।
C गणेश पोल ।
D लक्ष्मण पोल ।
12. पचेवर ( टोंक ) का दुर्ग कहलाता है ?
A दौबुर्जा दुर्ग ।
B बाहुबुर्जा दुर्ग ।
C पांचबुर्जा दुर्ग ।
D चौबुर्जा दुर्ग ।☑
13. अकबर द ग्रेट धारावाहिक की शूटिंग किस किले में हुई थी ?
A करणसर के किले ( जयपुर ) में ।☑
B मैग्नीज के किले ( अजमेर ) में ।
C आमेर के किले में ।
D जैसलमेर के किले में ।
14. “ऐसा किला राणी जाये के पास भले ही हो , ठुकराणी जाये के पास नहीं “ यह कहावत किस किले के सम्बन्ध में कही गयी है ?
A चितौड़गढ़ किले के सम्बन्ध में ।
B पचेवर ( टोंक ) के किले के सम्बन्ध में ।
C रणथम्भौर ( सवाईमाधोपुर ) किले के सम्बन्ध में ।
D कुचामन ( नागौर ) के किले के सम्बन्ध में ।☑
15. किस किले के पास स्थित रेत का बड़ा सा टिब्बा “हाथीटीबा” कहलाता है ?
A पचेवर ( टोंक ) के किले के पास में ।
B कुचामन ( नागौर ) के किले के पास ।☑
C चितौड़गढ़ किले के पास में ।
D रणथम्भौर ( सवाईमाधोपुर ) किले के पास में ।
16. किस किले को जमीन का जेवर कहा जाता है?
1. तारागढ़
2. जयगढ़
3. कुंभलगढ़
4. जूनागढ़☑
17. निम्न में से जल दुर्ग है –
(1) गागरोन का किला
(2) भैंसरोड़गढ़ दुर्ग
(3) शेरगढ़ दुर्ग
(4) उपर्युक्त सभी ☑
18. कौनसा किला उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश और राजस्थान आदि तीन राज्यो की सीमा पर स्थित है?
(1) गागरोन दुर्ग
(2) भैंसरोड़गढ़ दुर्ग
(3) शेरगढ़ दुर्ग☑
(4) इनमे से कोई नही
19. निम्न में से जल दुर्ग का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है –
(1) गागरोन का किला☑
(2) भैंसरोड़गढ़ दुर्ग
(3) शेरगढ़ दुर्ग
(4) उपर्युक्त सभी
20. निम्न में से गिरि दुर्ग है –
(1) चित्तौड़ का किला
(2) रणथम्भौर दुर्ग
(3) जालौर दुर्ग
(4) उपर्युक्त सभी ☑
21. गुब्बारा”, “नुसरत”, “नागपली”, “गजक” नाम है –
(1) जोधपुर दुर्ग की तोपों के नाम ☑
(2) मेवाड़ में प्रचलित क्षेत्रीय मिठाइयों के नाम
(3) मारवाड़ ठिकानों के वस्त्रों के नाम
(4) मेवाड़ में प्रचलित राजस्व वसूली करों के नाम
22. मांडू के प्रसिद्ध किले का निर्माण किसने कराया था ?
(1) हुसैनशाह ☑
(2) बाज बहादुर
(3) मोहम्मद शाह
(4) कुम्भा
23. असंगत युग्म को छांटिए –
(1) मेहरानगढ़ दुर्ग : जोधपुर
(2) अचलगढ़ दुर्ग : आबू
(3) तारागढ़ दुर्ग : बूँदी
(4) तारागढ़ : अलवर☑
24. गढ़बीठली या तारागढ़ स्थित है –
(1) जयपुर
(2) अजमेर ☑
(3) कोटा
(4) बीकानेर
25. शाहाबाद दुर्ग किस जिले में है?
(1) बाराँ ☑
(2) बूँदी
(3) कोटा
(4) भरतपुर
26. मुस्लिम संत मीरा साहब की दरगाह किस दुर्ग में है ?
(1) अजयमेरु दुर्ग ☑
(2) अचलगढ़ दुर्ग
(3) आमेर दुर्ग
(4) जयगढ़ दुर्ग
27. माधोराजपुरा का किला किस जिले में स्थित है ?
(1) जयपुर ☑
(2) अलवर
(3) जोधपुर
(4) जैसलमेर
28. चित्तौड़ के किले में स्थित दर्शनीय स्थल है –
(1) कीर्ति स्तम्भ
(2) कुंभश्याम मंदिर
(3) गोरा-बादल महल
(4) उपर्युक्त सभी ☑
29. अकबर का किला कहाँ स्थित है?
(1) जयपुर में
(2) अजमेर में ☑
(3) कोटा में
(4) जोधपुर में
30. किस दुर्ग की आकृति मयूराकृति है?
(1) अचलगढ़ दुर्ग
(2) सोजत दुर्ग
(3) सिवाणा का दुर्ग
(4) मेहरानगढ़ दुर्ग ☑
राजस्थान के प्रमुख अनुसंधान केन्द्र – Major Research Centers of Rajasthan
31. जूनागढ़ का किला कहाँ स्थित है?
(1) हनुमानगढ़ में
(2) बीकानेर में ☑
(3) नागौर में
(4) भरतपुर में
➤➤जूना महल डूंगरपुर में है
32. झालावाड़ जिले में स्थित दुर्ग है –
(1) भैंसरोड़गढ़ दुर्ग
(2) गागरोन का किला ☑
(3) भटनेर का किला
(4) जैसलमेर का किला
33. गंभीरी और बेड़च नदियों के संगम स्थल के समीप अरावली पर्वतमाला के एक विशाल पर्वत शिखर पर बना दुर्ग है –
(1) चित्तौड़ का किला ☑
(2) कुंभलगढ़ दुर्ग
(3) रणथम्भौर दुर्ग
(4) जालौर दुर्ग
34. राजस्थान का जिब्राल्टर’ किसे कहते हैं?
(1) तारागढ़ अजमेर☑
(2) आमेर दुर्ग
(3) अचलगढ़ दुर्ग
(4) मेहरानगढ़
35. चिड़ियाटूँक पहाड़ी अवस्थित दुर्ग है –
(1) मेहरानगढ़ दुर्ग ☑
(2) तारागढ़ दुर्ग
(3) अजयमेरु दुर्ग
(4) नाहरगढ़ दुर्ग
36. अलाउद्दीन ने किस दुर्ग का नाम ‘खैराबाद’ रखा?
(1) मेहरानगढ़ दुर्ग
(2) सोजत दुर्ग
(3) सिवाणा का किला ☑
(4) अचलगढ़ दुर्ग
37. शेखावाटी का सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दुर्ग है
(1) कुचामन का किला
(2) अकबर का किला
(3) लोहागढ़ दुर्ग
(4) फतेहपुर दुर्ग ☑
38. जागीरी किलों का सिरमौर’ माना जाने वाला किला है –
(1) कुचामन का किला ☑
(2) फतेहपुर दुर्ग
(3) शाहाबाद दुर्ग
(4) लक्ष्मणगढ़ दुर्ग
39. भीमलाट किस दुर्ग में स्थित है?
(1) अलवर दुर्ग
(2) बयाना दुर्ग ☑
(3) नाहरगढ़ दुर्ग
(4) जयगढ़ दुर्ग
40. भटनेर का किला किस जिले में स्थित है?
(1) गंगानगर
(2) हनुमानगढ़ ☑
(3) बीकानेर
(4) जोधपुर
41. गागरोन का किला है –
(1) धान्वन दुर्ग
(2) जल दुर्ग ☑
(3) वन दुर्ग
(4) गिरि दुर्ग
42. लघु दुर्ग ‘कटारगढ़’ किस दुर्ग में स्थित है –
(1) जालौर दुर्ग
(2) कुंभलगढ़ दुर्ग ☑
(3) रणथम्भौर दुर्ग
(4) जयगढ़ दुर्ग
43. निम्नांकित में से कौनसे किले जल दुर्ग हैं?
1. नागौर व गागरोण
2. चित्तौड़गढ़ व लोहागढ़
3. भैंसरोड़गढ़ व तारागढ़
4. भैंसरोड़गढ़ व गागरोण☑
44. राव जोधा का फलसा’ जोधपुर में कहाँ स्थित है?
1. मंडोर में
2. मेहरानगढ़ में☑
3. ओसियां में
4. राईका बाग में
45. किस शक्तिशाली शासक के शिलालेखों से, जो जालौर से प्राप्त हुए हैं, से अनुमान लगाया जाता है कि इस दुर्ग का निर्माण उसी ने करवाया था?
1. राव कान्हड़देव
2. राव सीहा
3. राणा कुंभा
4. धारावर्ष परमार☑
46. मौत का किला किस किले को कहा जाता है
1. जयगढ़
2. मेहरानगढ़
3. तक्षक गिरी
4. गागरोन☑
➤➤राजद्रोहियो को मौत की सजा दी जाती थी
47. तैमूर लंग ने किसे भारत का सर्वश्रेष्ठ दुर्ग बताया
भटनेर दुर्ग☑
चित्तोड़ गढ़
मेहरानगढ़
तारागढ़ अजमेर
48. हाड़ौती अंचल का वह दुर्ग , जिसका नाम शेरशाह सूरी के नाम पर शेरगढ़ पड़ा –
A. कोशवर्द्धन दुर्ग ☑
B. गागरोन दुर्ग
C. तारागढ़
D. जयगढ दुर्ग
49. शेरगढ़ का किला राज्य के निम्न में से किस जिले में स्थित है?
(1) बारां
(2) धौलपुर☑
(3) अलवर
(4) भरतपुर
50. वह किला जिसमे एक जैसे नौ महल है?
(1) आमेर दुर्ग
(2) नाहरगढ़ दुर्ग☑
(3) मेहरानगढ़ दुर्ग
(4) चित्तौड़गढ़ दुर्ग