Major Dam Irrigation Projects in Rajasthan – राजस्थान की प्रमुख सिंचाई व नदी घाटी परियोजनाएं निम्नलिखित हैं:
1. इन्दिरा गांधी नहर जल परियोजना (IGNP)
- यह परियोजना पूर्ण होने पर विश्व की सबसे बड़ी परियोजना होगी इसे प्रदेश की जीवन रेखा/मरूगंगा भी कहा जाता है।
- पहले इसका नाम राजस्थान नहर था। 2 नवम्बर 1984 को इसका नाम इन्दिरा गांधी नहर परियोजना कर दिया गया है।
- 1958 में इन्दिरा गांधी नहर परियोजना का निर्माण कार्य की शुरूआत हुई
- इन्दिरा गांधी नहर जल परियोजना IGNP का मुख्यालय (बोर्ड) जयपुर में है।
- इस नहर का निर्माण का मुख्य उद्द्देश्य रावी व्यास नदियों के जल से राजस्थान को आवंटित 86 लाख एकड़ घन फीट जल को उपयोग में लेना है।
- नहर निर्माण के लिए सबसे पहले फिरोजपुर में सतलज, व्यास नदियों के संगम पर 1952 में हरिकै बैराज का निर्माण किया गया।
- नहर निर्माण कार्य का शुभारम्भ तत्कालीन गृहमंत्री श्री गोविन्द वल्लभ पंत ने 31 मार्च 1958 को किया ।
- 11 अक्टूबर 1961 को इससे सिंचाई प्रारम्भ हो गई। इस नहर की कुल लम्बाई 649 किमी है।
2. गंगनहर परियोजना
- यह भारत की प्रथम नहर सिंचाई परियोजना है।
- राजस्थान के पश्चिमी भागों में वर्षा बहुत ही कम होने के कारण तत्कालीन बीकानेर के महाराजा श्री गंगासिंह ने गंगनहर का निर्माण करवाया था।
- गंगनहर की आधारशिला फिरोजपुर हैडबाक्स पर 5 सितम्बर 1921 को महाराजा गंगासिंह द्वारा रखी गई।
- 26 अक्टूबर 1927 को तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन ने श्री गंगानगर के शिवपुर हैड बॉक्स पर उद्घाटन किया था।
- इस नहर का उद्गम स्थल सतलज नदी से फिरोजपुर के निकट हुसैनीवाला से माना जाता है।
- गंगनहर श्री गंगानगर के संखा गांव में यह राजस्थान में प्रवेश करती है।
- शिवपुर, श्रीगंगानगर, जोरावरपुर, पदमपुर, रायसिंह नगर, स्वरूपशहर, होती हुई यह अनूपगढ़ तक जाती है।
- गंगनहर की कुल लम्बाई 292 कि.मी. है।
3. भरतपुर नहर परियोजना
- सन् 1906 में पेयजल व्यवस्था हेतु तत्कालीन भरतपुर नरेश के प्रयासस्वरूप भरतपुर नहर परियोजना का निर्माण किया गया लेंकिन पूर्ण कार्य 1963-64 में हुआ।
- इस नहर को पश्चिम यमुना से निकलने वाली आगरा नहर के सहारे 111 कि.मी. के पत्थर से निकाला गया।
- यह कुल 28 कि.मी. (16 उत्तर प्रदेश + 12 राजस्थान) लम्बी है।
- इससे भी भरतपुर में जलापूर्ति होती है।
4. गुडगाँव नहर परियोजना –
- यह नहर हरियाणा व राजस्थान की संयुक्त नहर है।
- इस नहर के निर्माण का लक्ष्य यमुना नदी के अतिरिक्त पानी का मानसून काल में उपयोग करना है।
- 1966 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ एवं 1985 में पूरा हुआ।
- यह नहर यमुना नदी में उत्तरप्रदेश के औंखला से निकाली गई है।
- नहर की क्षमता 2100 क्यूसेक है जिसमें से राजस्थान को 500 क्यूसेक पानी का हिस्सा प्राप्त है।
- नहर राजस्थान में भरतपुर जिले की कामां तहसील में जुरेश गांव के पास से यह राज्य में प्रवेश करती है।
- नहर की कुल लम्बाई राजस्थान राज्य में 58 कि.मी. है। है।
- इससे भरतपुर की कामा व डींग तहसील की जलापूर्ति होती है।
- आजकल इसे यमुना लिंक परियोजना कहते हैं।
5. चम्बल नदी घाटी परियोजना
- राजस्थान एवं मध्यप्रदेश राज्यो के सहयोग से बनी यह परियोजना पेयजल प्राप्ति के लिए 1952 -54 में प्रारम्भ की गई थी।
- पेयजल की दृष्टि से परियोजना का 50 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान का था,
- सर्वप्रथम परियोजना की शुरूआत 1943 में कोटा के निकट एक बाँध बनाये जाने के रूप में हुई।
6. भाखडा़ नांगल परियोजना
- भाखडा नांगल परियोजना बहुउद्धेशीय नदी घाटी योजनाओं में से भारत की सबसे बडी़ योजना है।
- इसकी जल भराव क्षमता एक करोड़ क्यूबिक मीटर है।
- इसकी लम्बाई 96 कि.मी. है।
- यह पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश की संयुक्त परियोजना है।
- इसमें राजस्थान का हिस्सा 15.2 प्रतिशत है।
- हिमाचल प्रदेश का हिस्सा केवल जल विधुत के उत्पादन में ही है।
- इस बांध का निर्माण 1946 में प्रारम्भ हुआ एवं 1962 को इसे राष्ट्र को समर्पित किया गया।
- यह भारत का सबसे ऊंचा बांध है।
7. व्यास परियोजना व पोंग बाँध
- रावी और व्यास नदियों के जल का उपयोग करने के लिये पंजाब, हरियाणा और राजस्थान द्वारा सम्मिलित रूप से बहुउद्धेशीय परियोजना प्रारम्भ की गई।
- इस परियोजना को दो चरणों में पूरा किया गया।
- प्रथम चरण में व्यास सतलज लिंक नहर के रूप में तो द्वितीय चरण पोंग बाँध के रूप में बना है।
- इससे इन्दिरा गांधी नहर में नियमित जलापूर्ति रखने में मदद मिलती है।
8. माही बजाज सागर परियोजना
- बोरखेड़ा ग्राम के पास माही नदी पर माही बजाज सागर बाँध बनाया गया है जो आदिवासी क्षेत्र से लगभग 20 कि.मी. दूर है।
- यह राजस्थान एवं गुजरात की संयुक्त परियोजना है।
- माही बजाज सागर परियोजना के अन्तर्गत बना यह बाँध गुजरात एवं राजस्थान सरकार के वर्ष 1966 में एक अनुबंध / समझौते का परिणाम है।
- केन्द्रीय बाँध का जल संग्रहण क्षेत्र 6240 वर्ग कि.मी. है,
- 1966 में हुए समझौते के अनुसार इस परियोजना में राजस्थान सरकार का 45 प्रतिशत व गुजरात सरकार का 55 प्रतिशत हिस्सा है।
- इस परियोजना में गुजरात के पंचमहल जिले में माही नदी पर कड़ाना बांध का निर्माण किया गया है।
- इसी परियोजना के अंतर्गत बांसवाड़ा के बोरखेड़ा गांव में माही बजाज सागर बांध बना हुआ है।
- इसके अलावा यहां 2 नहरें, 2 विद्युत ग्रह, 2 लघु विद्युत ग्रह व 1 कागदी पिकअप बांध बना हुआ है।
- इस परियोजना से डूंगरपुर व बांसवाड़ा जिलों की कुछ तहसीलों को जलापूर्ति होती है।
9. जवाई बाँध परियोजना
- इसे मारवाड़ का ‘अमृत सरोवर‘ भी कहते हैं।
- सन् 1946 में जोधपुर रियासत के महाराजा उम्मेद सिंह ने पाली में सुमेरपुर एरिनपुरा के पास स्टेशन से 2.5 कि.मी. की दूरी पर जवाई बाँध का निर्माण करवाया था।
- इसे 13 मई 1946 को शुरू करवाया, 1956 में इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ।
- पहले इस बांध को अंग्रेज इंजीनियर एडगर और फर्गुसन के निर्देशन में शुरू करवाया, बाद में मोतीसिंह की देखरेख में बांध का कार्य पूर्ण हुआ।
- यह बांध लूनी नदी की सहायक जवाई नदी पर पाली के सुमेरपुर में बना हुआ है।
- जवाई बांध में पानी की आवक कम होने पर इसे उदयपुर के कोटड़ा तहसील में निर्मित सेई परियोजना से जोड़ा गया था।
- 9 अगस्त 1977 को सेई का पानी पहली बार जवाई बांध में डाला गया।
- इस बांध के जीर्णोद्धार का कार्य 4 अप्रैल 2003 को शुरू किया गया।
10. जाखम परियोजना
- जाखम नदी के पानी का उपयोग करने हेतु राज्य सरकार द्वारा 1962 में इस परियोजना को स्वीकृति प्रदान की गयी थी तथा 1986 में इसमें जल प्रवाहित किया गया।
- इस परियोजना का पूर्ण कार्य वर्ष 1998-99 में पूरा हो गया है।
- यह परियोजना चित्तौड़गढ़ – प्रतापगढ़ मार्ग पर अनूपपुरा गांव में बनी हुई है।
- यह राजस्थान की सबसे ऊंचाई पर स्थित बांध है।
- इस परियोजना से प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा के आदिवासी कृषक लाभान्वित होते हैं।
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11. सिद्धमुख नोहर परियोजना
- इसका नाम अब राजीव गांधी नोहर परियोजना है।
- नाबार्ड के 21.44 करोड़ रूपये के वित्तीय सहयोग से 27.53 करोड़ रूपये की इस उपयोजना का प्रारम्भ इसका शिलान्यास 5 अक्टूबर 1989 को राजीव गांधी ने भादरा के समीप भिरानी गांव से किया।
- रावी-व्यास नदियों के अतिरिक्त जल का उपयोग लेने के लिए भाखड़ा मुख्य नहर से 275 कि.मी. लम्बी एक नहर निकाली गयी है।
- इस परियोजना से हनुमानगढ़ एवं चुरू जिले की 18350 हैक्टेयर अतिरिक्त भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो रही है।
- इससे हनुमानगढ़ के 24 गाँव एवं चुरू जिले के 14 गाँवों को लाभ मिल रहा है।
- इस परियोजना का लोकार्पण 12 जुलाई 2002 को श्रीमती सोनिया गांधी द्वारा किया गया।
- इस परियोजना के लिए पानी भाखड़ा नांगल हैड वर्क से लाया गया है।
12. ओराई सिंचाई परियोजना
- इसमें चित्तौड़गढ़ जिले में भोपालपुरा गांव के पास ओराई नदी पर एक बांध का निर्माण किया गया।
- इस परियोजना का निर्माण कार्य सन् 1962 में प्रारम्भ होकर सन् 1967 में पूर्ण हो गया।
- मुख्य बाँध नदी के तल से 20 मीटर ऊँचा है एवं इसकी भराव क्षमता लगभग 3810 लाख घनमीटर है।
- इस बांध से एक नहर निकाली गई है जिसकी लम्बाई 34 कि.मी. है।
- इस परियोजना से चित्तौड़गढ़ एवं भीलवाड़ा जिले में सिंचाई सुविधा प्राप्त हो रही है।
13. मोरेल बाँध परियोजना
- सवाईमाधोपुर तहसील से लगभग 16 कि.मी. दूर मोरेल नदी पर मिट्टी का एक बाँध बनाया गया है।
14. पांचना परियोजना
- राजस्थान के पूर्वी जिले करौली के गुड़ला गाँव के निकट पांच नदियों के संगम स्थल पर बने इस बाँध में भद्रावती बरखेड़ा, अटा, आची तथा भैसावट नदी के मिलने पर इसका नाम पांचना बाँध रखा गया है।
- बालू मिट्टी से बने इस बाँध की उंचाई 25.5 मीटर निर्धारित कर दी गई।
- इसकी जल ग्रहण क्षमता लगभग 250 क्यूसेक है।
- परियोजना सन् 2004-05 में पूर्ण हो चुकी है।
- इससे करौली व सवाईमाधोपुर जिले व बयाना (भरतपुर) को लाभ मिल रहा है।
- यह मिट्टी से निर्मित राजस्थान का सबसे बड़ा बांध है।
15. नर्मदा परियोजना
- नर्मदा बाँध परियोजना मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान की संयुक्त परियोजना है।
- नर्मदा जल विकास प्राधिकरण द्वारा नर्मदा जल में राजस्थान का हिस्सा 0.50 MAF (मिलियन एकड़ फीट) निर्धारित किया गया है।
- इस जल को लेने के लिए गुजरात के सरदार सरोवर बांध से नर्मदा नहर (458 कि.मी. गुजरात + 75 कि.मी. राजस्थान) निकाली गई है।
- 27.03.2008 को उक्त परियोजना के तहत गुजरात के सरदार सरोवर बाँध से छोडे गये नर्मदा नदी के पानी का राजस्थान में विधिवत् प्रवेश यह नहर जालौर जिले की सांचौर तहसील के सीलू गाँव से हुआ।
- यह राज्य की पहली परियोजना है जिसमें सम्पूर्ण सिंचाई ‘‘फव्वारा पद्धति’’ से होती है।
- फरवरी 2008 को वसुंधरा राजे ने जल प्रवाहित किया। इस परियोजना में सिंचाई केवल फव्वारा पद्धति से सिंचाई करने का प्रावधान है।
- जालौर व बाड़मेर की गुढ़ामलानी तहसील लाभान्वित होती है।
16. मानसी वाकल परियोजना
- यह राजस्थान सरकार व हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड की संयुक्त परियोजना है।
- इसमें 70 प्रतिशत जल का उपयोग उदयपुर व 30 प्रतिशत जल का उपयोग हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड करता है।
- इस परियोजना में 4.6 कि.मी. लम्बी सुरंग बनी हुई है,
- जो देश की सबसे बड़ी जल सुरंग है।
17. बीसलपुर परियोजना
- यह राजस्थान की सबसे बड़ी पेयजल परियोजना है।
- यह परियोजना बनास नदी पर टौंक जिले के टोडारायसिंह कस्बे में है।
- इसका प्रारम्भ 1988-89 में हुआ।
- इससे दो नहरें भी निकाली गई है।
- इससे अजमेर, जयपुर, टौंक में जलापूर्ति होती है।
- इसे NABRD के RIDF से आर्थिक सहायता प्राप्त हुई है।
18. ईसरदा परियोजना
- बनास नदी के अतिरिक्त जल को लेने के लिए यह परियोजना सवाई माधोपुर के ईसरदा गांव में बनी हुई है।
- इससे सवाईमाधोपुर, टोंक, जयपुर की जलापूर्ति होती है।
19. मेजा बांध
- यह बांध भीलवाड़ा के माण्डलगढ़ कस्बे में कोठारी नदी पर है।
- इससे भीलवाड़ा शहर को पेयजल की आपूर्ति होती है।
- मेजा बांध की पाल पर मेजा पार्क को ग्रीन माउण्ट कहते हैं।
- यह माउण्ट फूलों और सब्जियों के लिए प्रसिद्ध है।
20. ओराई सिंचाई परियोजना
- इस परियोजना में चित्तौड़गढ़ जिले में भोपालपुरा गांव के पास ओराई नदी पर एक बांध का निर्माण किया गया।
- इस बांध से 34 कि.मी. लम्बाई की एक नहर निकाली गई है।
- इस परियोजना से चित्तौड़गढ़ एवं भीलवाड़ा जिले में सिंचाई सुविधा प्राप्त हो रही है।
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21. पार्वती परियोजना (आंगई बांध)
- इस योजना में धौलपुर जिल में पार्वती नदी पर 1959 में एक बांध का निर्माण किया गया।
- इससे धौलपुर जिले में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो रही है।
22. गम्भीरी परियोजना
- इस बांध का निर्माण 1956 में चित्तौड़गढ़ जिले के निम्बाहेड़ा के निकट गम्भीरी नदी पर किया गया।
- यह मिट्टी से निर्मित बांध है।
- इस बांध से चित्तौड़गढ़ जिले को सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो रही है।
23. भीखाभाई सागवाड़ा माही नहर
- यह डूंगरपुर जिले में स्थित इस परियोजना को 2002 में केन्द्रीय जल आयोग ने स्वीकृति प्रदान की।
- इसमें माही नदी पर साइफन का निर्माण कर यह नहर निकाली गई है।
- यह डूंगरपुर जिले में लगभग 21000 हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए है।
24. इन्दिरा लिफ्ट सिंचाई परियोजना
- यह करौली जिले की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना है।
- इसमें चम्बल नदी के पानी को कसेडु गांव (करौली) के पास 125 मीटर ऊंचा उठाकर करौली, बामनवास (सवाईमाधोपुर) एवं बयाना (भरतपुर) में सिंचाई सुविधा प्रदान की गई।
25. सेई परियोजना
- उदयपुर की घाटियों में सेई नदी पर एक बांध बनाया गया हैं।
- जिसका पानी इकट्ठा करके भूमिगत नहर के द्वारा जवांई बांध के लिए भेजा जाएगा,
- जो गैर-मानसून अवधि में पीने का पानी व सिंचाई उपलब्ध करवा जा रहा है।
26. बांकली बांध
- यह जालौर में, सुकड़ी व कुलथाना नदियों के संगम पर स्थित हैं।
- इस बांध में जालौर, पाली व जोधपुर को पेयजल व सिंचाई उपलब्ध होती हैं।
27. सोम कमला आम्बा सिंचाई परियोजना
- दक्षिणी राजस्थान की जनजाति बहुल बांगड़ क्षेत्र की समृद्धि के लिए सोम कमला अंबा सिंचाई परियोजना भाग्य रेखा है।
- उदयपुर जिले के सलुम्बर के निकट सोम एवं गोमती नदी पर कमला आम्बा गांव के समीप 34.5 मीटर ऊँचे 620 मीटर लम्बे बांध का निर्माण किया गया है।
- इससे डूंगरपुर और उदयपुर के अनेक गांवों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध है।
- इसका निर्माण 1975 में स्वीकृत हुआ तथा 1995 में पूर्ण हुआ।
28. सोम कागदर परियोजना
- यह उदयपुर में स्थापित परियेाजना हैं।
29. पार्वती पिकअप वीयर परियोजना
- बारां जिले में चम्बल नदी पर यह एक वृहद् सिंचाई परियोजना है।
30. अकलेरा सागर परियोजना
- वृहद् सिंचाई एवं पेयजल परियोजना के अंतर्गत बारां जिले के किशनगढ़ के समीप ये बाँध निर्मित है।
31. हरिश्चंद्र सागर वृहद् सिंचाई परियोजना
- हरिश्चंद्र सागर वृहद् सिंचाई परियोजना को कालीसिंध परियोजना भी कहा जाता है।
- इस योजना में लाभान्वित जिले कोटा एवं झालावाड़ है
- यह बाँध कोटा जिले में कालीसिंध नदी पर निर्मित है।
- ये परियोजना 1957 में प्रथम पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत हुई थी तथा 8 वीं प्रथम पंचवर्षीय योजना में पूर्ण हुई।
- इस परियोजना में कालीसिंध नदी पर झालावाड़ जिले की खानपुर तहसील में 427 मीटर लम्बा एक पिक अप वीयर है।
- मुख्य नहर की लम्बाई 37 किमी है।
- इसका वर्तमान कमांड क्षेत्र 12,284 हेक्टेयर है।
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